दूर रहकर भी होती है क्या शिकायत मेरी - हिंदी ग़ज़ल


Hindi ghazal by anjaan, Latest Ghazal in hindi


दूर रहकर भी होती है क्या शिकायत मेरी?

फिर इतनी क्यों करता था वकालत मेरी?


जो शख़्स मेरा बहुत ख़याल रखता था,

आज मालूम है क्या उसको तबीअत मेरी?


अल्फाजो से कितना बयाँ करूँ अब मैं,

वो अगर समझता तो ठीक होती हालत मेरी...


बिना बताए तेरा छोड़ जाना यक़ीन नहीं देता,

ये फांसले बढ़ेंगे या ख़तम होगी हिकायत मेरी...


अब भी रोक रखे हैं 'अंजान' इंतजार में अश्क,

ग़र बहेंगे तो टूट जाएगी ये इमारत मेरी...


~ अंजान


Read More Ghazal :

  1. आप का ये आर्टिकल मुझे बहुत पसंद आया आप भी मेरा ये आर्टिकल ghar baithe paise kaise kamaye
    पढ़ सकते है सायद आप को भी पसंद आये

    जवाब देंहटाएं
  2. This post provides very informative knowledge.Thanks for Guiding.

    www.gyanitechraviji.com

    जवाब देंहटाएं
  3. i Read This Blog And In This Blog

    Best Hospital in Prayagraj

    https://jeevanjyotihospital.com/

    https://jeevanjyotihospital.com/

    जवाब देंहटाएं