शबीना अदीब जी की खूबसूरत ग़ज़ल - लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी
शबीना अदीब जी की खूबसूरत ग़ज़ल - Ghazal Lyrics Shabeena Adeeb
लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी,
राह में दिल बिछादूँ अगर तुम कहो...
ईद का चाँद निकला सजी हर गली,
मैं भी घर को सजादूँ अगर तुम कहो...
जंग से मुल्क जीते गए हैं सदा,
प्यार से जीत लेता है दिल आदमी,
ये तुम्हारी निगाहों में नफरत है जो,
इसको चाहत बनादूँ अगर तुम कहो...
क्या कहा ये अंधेरे न मिट पाएंगे,
क्या कहा रोशनी अब न हो पाएगी...
देके दिल का उझाला चरागों को मैं,
रात को दिन बनादूँ अगर तुम कहो...
वो जुनूं क्या हुआ वो वफ़ा क्या हुई,
अब तो चूड़ी भी लाने की फुरसत नहीं,
किस मोहब्बत से कल तक ये कहते थे तुम,
चाँद तारे भी ला दूँ अगर तुम कहो...
कि सब यहाँ है अपने पराएँ नहीं,
और अपनों से कुछ भी छुपाते नहीं,
जिक्र जिसमें तुम्हारी जफ़ाओं का है,
वो ग़ज़ल भी सुनादूँ अगर तुम कहो...
~ शबीना अदीब
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बहुत ही बेहतरीन
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