ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ - राजेश रेड्डी जी की ग़ज़ल
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ
राजेश रेड्डी जी की एक बहुती मशहूर और खूबसूरत ग़ज़ल आपके सामने पेश है।
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ,
बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ...नसीहत कर रही है अक़्ल कब से,
कि मैं दीवानगी से दूर हो जाऊँ...न बोलूँ सच तो कैसा आईना मैं,
जो बोलूँ सच तो चकना-चूर हो जाऊँ...है मेरे हाथ में जब हाथ तेरा,
अजब क्या है जो मैं मग़रूर हो जाऊँ...बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे,
कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ...सराबों से मुझे सैराब कर दे,
नशे में तिश्नगी के चूर हो जाऊँ...मेरे अंदर से गर दुनिया निकल जाए,
मैं अपने-आप में भरपूर हो जाऊँ...~ राजेश रेड्डी
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