Love Shayari 2025 - Hindi/Urdu Poetry
वाह! परवीन शाकिर की नज़ाकत और एहसासात को छूने की कोशिश करते हैं:
1. उसकी यादों की महक अब भी मेरे दिल में है,
जैसे सूनी हवेली में कोई दीप जला हो।
2. कितनी बातें थीं जो लबों तक कभी आईं ही नहीं,
क्या पता आँखें ही ये अफ़्साना सुनाती रहीं।
3. ये कैसी उलफत है, जो धागे से भी नाज़ुक है,
और फिर भी तमाम उम्र इसी से बंधे रहते हैं।
4. ये शामें, ये बारिशें, सब कुछ अधूरा लगता है,
न जाने कब वो मेरी देहलीज़ पे दस्तक देंगे।
5. कितना नादान है ये दिल, जो हर बार टूट जाता है,
और फिर भी उसी एक शख़्स की चाहत में रहता है।
6. एक लम्हा था वो जो मेरे हिस्से में आया था,
फिर उम्र भर उसका साया मेरे साथ रहा।
1. उसकी यादों की महक अब भी मेरे दिल में है,
जैसे सूनी हवेली में कोई दीप जला हो।
2. कितनी बातें थीं जो लबों तक कभी आईं ही नहीं,
क्या पता आँखें ही ये अफ़्साना सुनाती रहीं।
3. ये कैसी उलफत है, जो धागे से भी नाज़ुक है,
और फिर भी तमाम उम्र इसी से बंधे रहते हैं।
4. ये शामें, ये बारिशें, सब कुछ अधूरा लगता है,
न जाने कब वो मेरी देहलीज़ पे दस्तक देंगे।
5. कितना नादान है ये दिल, जो हर बार टूट जाता है,
और फिर भी उसी एक शख़्स की चाहत में रहता है।
6. एक लम्हा था वो जो मेरे हिस्से में आया था,
फिर उम्र भर उसका साया मेरे साथ रहा।
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