Love Ghazal 2025 - Hindi/Urdu Poetry


Mirza Ghalib की Ghazal:
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान फिर भी कम निकले

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