Love Ghazal 2025 - Hindi/Urdu Poetry सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 Vivek Dabhi Mirza Ghalib की Ghazal:हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकलेबहुत निकले मिरे अरमान फिर भी कम निकले
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